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ट्रम्प की वापसी से डरे दक्षिण एशियाई अमेरिकी, सर्वे में खुली चिंता की परतें

सर्वे के मुताबिक, समुदाय को सबसे ज़्यादा डर सुरक्षा, आर्थिक अस्थिरता और लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे से है।

अमेरिका में दक्षिण एशियाई समुदाय ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 दिनों से बेहद असहज और डरा हुआ महसूस कर रहा है। भारतीय-अमेरिकी संगठन Indian American Impact द्वारा कराए गए एक हालिया सर्वे में 87% दक्षिण एशियाई अमेरिकियों ने डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों को लेकर नाराज़गी जताई है।

सर्वे के मुताबिक, इस समुदाय को सबसे ज़्यादा डर सुरक्षा, आर्थिक अस्थिरता और लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे से है। ट्रम्प प्रशासन की आर्थिक नीतियां, इमिग्रेशन पर सख्ती और संघीय एजेंसियों के बजट में कटौती—ये सभी फैसले उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं।

सर्वे में क्या कह रहे लोग
एक शख्स ने कहा, “हर दिन एक चुनौती जैसा है। इतनी जल्दी इतना नुकसान, देखकर बीमार महसूस होता है।” एक महिला ने बताया कि ट्रम्प शासन के डर से उन्होंने 25 पाउंड वजन घटा दिया और मानसिक स्वास्थ्य के लिए दवा लेनी पड़ी। एक अन्य ने कहा, “मुझे डर है कि मुझे भी किसी लिस्ट में डाल दिया जाएगा।”

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इमिग्रेशन और नागरिक अधिकार सबसे बड़ा डर
कई लोगों ने अपनी मां या रिश्तेदारों को अमेरिका से बाहर न जाने की सलाह दी है, वहीं एक व्यक्ति ने बताया कि उसके भतीजे का F-1 वीज़ा बिना वजह रद्द कर दिया गया। एक और उत्तरदाता ने कहा, “ब्राउन और ब्लैक लोगों को ICE द्वारा अगवा किया जा रहा है… कार्यकर्ताओं की आवाज़ दबाई जा रही है।”

अर्थव्यवस्था और भविष्य को लेकर चिंता
बढ़ती महंगाई, शेयर बाज़ार में अस्थिरता और नौकरियों को लेकर डर भी आम है। एक उत्तरदाता ने कहा, “टैरिफ से मेरे रिटायरमेंट अकाउंट को बड़ा नुकसान हुआ है।” वहीं NIH जैसी शोध एजेंसियों के फंड कटने से कई वैज्ञानिकों और छात्रों का करियर खतरे में है।

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